‘भारत, भारतीय संस्कृति और उसकी अनमोल धरोहर’ वरिष्ठ साहित्यकार त्रिवेणी प्रसाद दूबे ‘मनीष’ का चौबीसवाँ हिंदी संग्रह तथा छठवाँ हिंदी निबंध संग्रह है| इस संग्रह में कुल बारह निबंध लेख हैं|
‘भारत की संस्कृति’ से प्रारंभ होता हुआ यह संग्रह भारतीय संस्कृति के मौलिक आधार को रेखांकित करता है।‘भारत के उत्थान में देश की बेटियों का योगदान’ भारत की बेटियों के अनूठे चरित्र को प्रस्तुत करता है | इसमें भारत के राष्ट्रीय जैविक प्रतीकों का वर्णन एवं भारतीय लोकतंत्र के उद्देश्य एवं उपलब्धियाँ की व्याख्या भी समाविष्ट है।इसमें भारत में विभिन्न क्षेत्रों में व्याप्त नकारात्मक प्रवृत्ति के विश्लेषण के अतिरिक्त यह परामर्श भी है कि 'भारत के उत्थान में हमारा योगदान क्या और कैसे होना चाहिए।' इसमें पौराणिक कथाओं के महत्व के साथ भारतीय पारिवारिक संरचना का महत्व का भी सजीव चित्रण है। 'कशमीर हमारा है' में कश्मीर का इतिहास एवं वर्तमान सम्मिलित है।संग्रह का अंतिम लेख ‘श्री कृष्ण की बातों का हमारे जीवन में महत्व’, यह समझाता है कि, ‘योगेश्वर श्रीकृष्ण के सत्कर्मों और दिव्य लौकिक संदेशों का सांसारिक महत्व कालजयी है |’
इन्हीं सब तथ्यों एवं भावों पर आधारित बारह निबंध-लेखों का यह संग्रह ‘भारत, भारतीय संस्कृति और उसकी अनमोल धरोहर’ एक अनूठी गद्य-संपदा है |लेखक की प्रांजल भाषा और प्रभावशाली शैली के स्तरीय समन्वय ने इसे ऐसा उन्नत स्वरूप प्रदान किया है जो आम हिंदी पाठकों के अतिरिक्त विद्यार्थियों और शोधार्थियों के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगा|
Bharat, Bharatiya Sansk?uti aur uski Anmol Dharohar
- Triveni Prasad Dubey 'Manish'
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